Sunday, 20 April 2014

ज़िन्दगी



लम्हों की धुंध में धुआं-धुआं सी ज़िन्दगी
कुछ ख्वाबों की चाहतों में फ़ना ये ज़िन्दगी
कभी मिली यहाँ, तो कभी मिली वहां

हर मोड़ पे किसी से आशना है ज़िन्दगी
तुम कुछ हुए हमारे, कुछ हो गए और के
वैसे भी कहाँ मिलती है मुकम्मल ये जिंदगी.

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2 comments:

Hello

Happy Makar Sankranti

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