Saturday 13 December 2014

मौत बरहक है

बड़े ही प्यार से मुघे नहलाया जा रहा था,
था मै नींद में और मुघे इतना सजाया जा रहा था ,
बड़े ही प्यार से मुघे नहलाया जा रहा था,
ना जाने था वो कौन सा अजब खेल मेरे घर में,
बच्चो की तरह मुघे कंधे पव उठाया जा रहा था ,
था पास मेरे मेरा हर अपना उस वक्त,
फिर भी मै हर किसी के मुह से बुलाया जा रहा था ,
जो कभी देखते भी ना थे मुब्हत की निगाह से,
उनके दिल से भी प्यार मुघपे लुटाया जा रहा था ,
मालुम नहीं हैरान था हर कोई मुघे सोते हुए देख कर ,
जोर जोर से रो कर हसाया जा रहा था ,
कांप उठी मेरी रूह मेरा वो माकन देख कर,
पता चला जब मुघे दफनाया जा रहा था ,
रो पड़ा फिर मई भी वो मेरा मंजर देख कर ,
जहा मुघे हमेसा के लिए सुलाया जा रहा था,
मुहबत की इंतहा थी जिन दिलो में मेरे लिए ,
उसी घर से आज मै एक पल में भुलाया जा रहा था,
था मै नींद में और मुघे इतना सजाया जा रहा था ,

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